श्री भैरवनाथ मंदिर एवं धर्मशाला ट्रस्ट (र.नं. ३२९४ औ.बाद) जालना यह स्थान जहा शाकद्वीपीय मग ब्राह्मणों के इष्ट देवता भगवान भैरवनाथ की कुचेरा राजस्थान से करिब २०० / २५० वर्ष पूर्व लायी हुआ भव्य दिव्य विशाल मूर्ती स्थापित है। सेवगों की बगिची के नाम से जाना जाता रहा है । जालना शहर आज जिले के मुख्यस्थान के रुप में जाना जाता है । स्वातंत्र्य पूर्व काल में यह महत्वपूर्ण शहर के रुप में निजाम स्टेट के अधिन था । राजस्थानी समाज बहुल भाग होने से यहां सारे तीज त्यौहार, होली, दिवाली, गणगौर आदि मारवाडी रस्मों रिवाज सहित मिलकर मनायें जाते थे। जालना शहर शुरुसेही व्यापारी मंडी के नाम से विख्यात रहा है। अन्य राजस्थानी समाज बांधवों के साथ ही शाकद्वीपी मग ब्राह्मणों का अपना ही महत्व रहा है। अपने समाज बांधवों में कुछ स्वतंत्र अवसायी के रुप में उभरे तो कुछ समाज बांधवोंने अपने आपको मान्यवर मुनिम के रुप में प्रस्थापित किया तो कुछ दलाली तथा अन्यान्य कार्योंसे जुडे रहे। ]