संस्थापक अध्यक्ष
ईसी दौरान आपने मालेगांव की जागिरदारी पालकी । सिम्मोलंघन पद्धती को सार्वजनिक सिम्मोलंघन पद्धती में सहजभाव उत्पन्न कर परिवर्तन करवाया । मालेगांव के लिये यह एक उनकी बडी उपलब्धी है, यह उपलब्धी समानता का भाव दर्शाती है । पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने सर्वप्रथम ‘साप्ताहिक प्रकाश’ पत्रिका की शुरुआत की । प्रभावी समाज सेवाभावी जनों को साथ लेकर आपने लोकशिक्षण मंडल की स्थापना की। साथ ही रोटरी क्लब की स्थापना, व्याख्यान मालाओं का आयोजन आदी से जुड गये। और अपने आपको सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्र में समर्पित कर दिया । इसी संदर्भ में आपने पत्रकारिता क्षेत्रमें ‘मराठवाडा परिचय” नामक संदर्भ ग्रंथ लिखकर प्रकाशित कर एक और उपलब्धी दी । जिसका विमोचन तत्कालीन महसुल मंत्री (महाराष्ट्र राज्य) मा. भाऊसाहेब हिरे तु व सरदार राज बहादुर इनके शुभहस्ते व उपस्थिती मे हुआ । और आपका सार्थपत्रकार के रुप में गौरव एवं सत्कार किया गया
आप एक विचारवंत व्यक्ति एवं कुशल संघटक थे तथा सामाजिक कुरितियों एवं अनावश्यक रुढीयों के सच्चे विरोधक भी थे। अतः आपने स्व समाज में व्याप्त दस्सा बिस्सा भेद व दुरियों को अपने प्रबोधन द्वारा मिटाया। आपने ओसर-मोसर के नाम से होनेवाले अपव्यव को लक्ष्य कर अपने ही कुटूंब से बंद करने की चालना दी ।