(स्व.) श्री. शांतीलालजी मिसर

प्रथम सभापती जैसे देवदार के वृक्ष जंगलों में अपने आप बढते है । वैसे ही श्री. शांतीलालजी मिसर ने स्व कृतत्व एवं कठिण परिश्रम से आर्थिक राजधानी के शहर मुंबई की राह ली और स्नातक बी. कॉम. एल.एलबी. की उपाधी (डिग्री) प्राप्त कर अपने लक्ष्य को सी.ए. (चार्टर्ड एकाउंटेन्ट) की ओर किया और ये सारा […]

पं. गजाननजी कौशिक

समाजसेवी कास्तकार आपने जयकिसन बाडी स्थित पाताल हनुमान मंदिर को संवैधानिक रुप देकर उसे सामाजिक ट्रस्टं बनवाया इसमें -आपको समाज बंधु श्रीमान बस्तीरामजी शर्माने पूरा पूरा साथ दिया । इससे पूर्व जलगांव शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज नवयुवक मंडल की स्थापना की तथा १९६५ में सर्वप्रथम अध्यक्षपद को विभुषित किया । समाज सेवाभाव से ओतप्रोत चैतन्य मुर्ती […]

श्री. फूलचंदजी सेवक

आर्टिस्ट कला में अपने जीवन के आरंभ से रुचि रखनेवाले मेधावी सेवक ने कमर्शियल आर्ट एवं एडवरटाइजिंग की उच्च शिक्षा नागपुर, पुणे एवं विश्व विख्यात जे.जे. स्कूल ऑफ अप्लाइड आर्ट मुंबई से प्राप्त की । महाराष्ट्र राज्य शाकद्वीपीय ब्राह्मण सभा के भूतपूर्व कार्यकारिणी समिती अध्यक्ष एवं आजीवन सदस्य है । सेवक एज्यूकेशनल सोसायटी के संस्थापक […]

श्री शिवरतनजी शर्मा

निवृत्त मुख्याध्यापक सन १९७७ में ५४ दिवसीय सम्पूर्ण महाराष्ट्र कर्मचारी आन्दोलन में आपका सक्षम नेतृत्व, दृढनिश्चयी आंदोलक एवं ओजस्वी प्रबोधक का रूप निखरकर सामने आया। ऐसे ही और अनेक आंदोलनों एवं प्रबोधनों के माध्यम से संस्था एवं शासन अंतर्गत प्रलंबित प्रश्नों को हल करवाने में आप अग्रणी रहे । जिला मुख्याध्यापक संघटना के अध्यक्ष रुपमें […]

स्व. पं. कंवरलालजी शर्मा

स्वयंस्फुर्त कार्यकर्ता धूलिया शा.ब्रा. समाज में श्रीमान कंवरलालजी शर्मा एक आदरणिय श्रद्धास्थान रहे हैं। उनके सामाजिक कार्य करने की मानसिक रुप से तीव्र इच्छा रही है। शुरू में उनका माल मोटार ट्रान्सपोर्ट का व्यवसाय रहा है। इस व्यवसाय के कारण उनका हर समाज के व्यक्ति से संपर्क रहता था । उनका मिलनसार स्वभाव होने से […]

समाज-मनीषी

श्री कन्हैय्यालालजी शर्मा प्रथम निमंत्रक मु.पो. नगर, ता. जि. अहमदनगर १९६५ के तीन दिवसिय शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज अधिवेशन के प्रमुख संयोजक श्री कन्हैय्यालालजी शर्मा, श्री मिसरीलालजी शर्मा तथा श्री हरिकिसनजी नगरवाला इन त्रिमूर्तियों में प्रमुख समाज अधिवेशन निमंत्रक, तथा स्वागताध्यक्ष, कुशल संघटक कठोर परिश्रमी, सादगीप्रिय वयोवृद्ध ज्येष्ठ नागरिक, श्री कन्हैय्यालालजी, पिता श्री जेठमलजी (बलद गोत्री) […]

॥ रथ सप्तमी – महापर्व ॥

इसी सप्तमी तिथि को भगवान सूर्यनारायण स्थास्ड होकर अपनी या प्रारंभ करते है। इसी सरमी को किमद्वारा तराशने के सुरवरूप प्राप्त हुआ था। प्रभु नारायण को इसी दिन पत्नी संज्ञा की प्राणी हुआ थी और इसी ममी के दिन प्रभु पूजा अर्धा के लिए वेद वेदांगों में पारंगत अध्यगधारी शिखाधारी मुदितसिर के शंखनाद करते हुआ […]

॥ सप्तमी तिथी एवं रविवार व्रत सूर्यपुजा विधी |

भुवन भास्कर भगवान सूर्यनारायण को सप्तमी तिथी अतिव प्रिय है। यूं तो सूर्यउपासकों के लिये प्रतिमास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि परम पुनीत, पर्व का दिन है। परंतु माघ शुक्ल सप्तमी का अपना ही महत्व है । सौरजनों का यह पूण्यप्रद उत्सव है, महापर्व है। जो रथसप्तमी, अचला सप्तमी, विजयासप्तमी आदि नामों से जानी जाती […]

॥ पंचदेव पूजा विधान ॥

पांचो देवो में आप अपने इष्ट देव को केन्द्र अर्थात मध्य में विराजमान कर अन्यचारों देवताओं को चार कोणों में अर्थात अमेय, नैऋत्य, वायव्य तथा ईशान्य दिशा में स्थापित कर विधियुक्त पुजन कर सकते है । सौर संप्रदायी अपने इष्ट प्रभु सूर्यनारायण की मूर्ति या प्रतिमा केन्द्र में रख कर – अग्नेय दिशा में श्री […]

सोलह संस्कार

१) गर्भाधान संस्कार सुयोग्य संतान प्राप्ती हेतु पुरस्कृत विधान को ही गर्भाधान संस्कार कहते है। २) पुंसवन संस्कार म नरक से तारण करने हेतु गर्भ के ३ रे या ४ थे माह में केवल पुत्र संतती प्राप्ती हेतु की गओ वैधानिक प्रक्रिया को पुंसवन संस्कार कहते है । सीमन्तोन्नयन संस्कार a) गर्भ शुद्धी हेतु, गर्भ […]