श्री शिवरतनजी शर्मा

निवृत्त मुख्याध्यापक

सन १९७७ में ५४ दिवसीय सम्पूर्ण महाराष्ट्र कर्मचारी आन्दोलन में आपका सक्षम नेतृत्व, दृढनिश्चयी आंदोलक एवं ओजस्वी प्रबोधक का रूप निखरकर सामने आया। ऐसे ही और अनेक आंदोलनों एवं प्रबोधनों के माध्यम से संस्था एवं शासन अंतर्गत प्रलंबित प्रश्नों को हल करवाने में आप अग्रणी रहे ।

जिला मुख्याध्यापक संघटना के अध्यक्ष रुपमें भी आपने संस्था चालक शासन एवं मुख्याध्यापकों के बीच सामंजस्य पूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। और विविध पाठशालाओं की समस्या का निवारण भी किया साथ ही शिक्षकों के सेवा निवृत्ती प्रश्नों को भी दिशा दी । जालना शहर के विविध भाषिक समाज द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थाओं का अल्पसंख्यांक विद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्ती हेतु प्रेरणा स्त्रोत्र एवं मार्गदर्शक के रुप में आप विख्यात है।

शैक्षणिक संपदा से सम्पन्न, कर्तुत्ववान, शिवरतनजी, का विवाह बोदवड निवासी वैद्याचार्य पं.मोडुलालजी छापरवाल की सुकन्या कु. तारादेवी से सन १९६२ के अक्षय तृतीया (आरवातीज) के शुभ मुहूर्त पर हुआ । सौ. तारादेवी सुगृहणी के साथ ही वैद्यकिय नुस्खों की जानकार भी है और कुछ चूर्ण तथा दवा स्वयं तैय्यार भी कर लेती है । पारिवारिक रुप से आपको दो सुविद्य पुत्र एवं तीन विवाहीत कन्या परिवार है। कवि और कविता के सानिध्य में रहने से जालना साहित्यिक मंच, हस्त रेषा एवं ज्योतिष्य शास्त्र विद्या से भी आप जुडे हुआ है।

१९७५ सिटी सर्वे के पश्चात (१९८०) समाज मे भैरवनाथ मंदिर (बगिची) के ट्रस्ट निर्मिती की कल्पना बलवती होने लगी । जालना शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज द्वारा संचालित भैरवनाथ मंदिर- एवं धर्मशाला एवं ट्रस्ट निर्मिती में मास्टर साब शिवरतनजी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है | आप इस न्यास के विश्वस्त सदस्य के रुप में इस सामाजिक धरोहर से संबंधित सभी कार्यो मे चांहे पारंपारिक या धार्मिक- कार्यक्रमों का आयोजन हो या फिर परिसर संबंधी कार्य हो चाहे न्यास निर्मिती पंजीकरण या धर्मादाय आयुक्त कार्यालय संबंधीत कार्य हो आप इन सभी कार्यो मे तन-मन-धन से अग्रणी रहे । परंतु १९८० सामाजिक उदासिनता के बावजुद कार्यालय से सांठ गांठ कर विजातिय असंबंधीत व्यक्ति द्वारा न्यासी बदलकर कब्जा करने के षडयंत्र को न्यायालयीन कार्यवाही द्वारा रोका । १९९८ में आयोजित मियींग में महाराष्ट्र राज्य शाकद्वीपीय ब्राह्मण सभा और जालना समाज की उपस्थितीमें अपने अनुज इंजि. चंद्रप्रकाशजी शर्मा के माध्यम से सभा में नव निर्वाचीत नवयुवकों के हाथों भैरवनाथ मंदिर एवं धर्मशाला ट्रस्ट कार्यभार सौंपा तथा इसी संदर्भ में चेंज रिपोर्ट के माध्यम से सभी समाज बांधवों की साक्षी में अपने आपको मुक्त किया।

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